दिग्गज कंपनी के Q2 Results जारी, मुनाफा गिरा 63%, शेयर हुए धड़ाम

दिग्गज कंपनी के Q2 Results जारी, मुनाफा गिरा 63%, शेयर हुए धड़ाम
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Q2 Results Eternal (Zomato) Share : इस साल जुलाई से सितंबर 2025 के बीच एटर्नल कंपनी के नतीजे कुछ अच्छे तो कुछ कमजोर रहे। एक तरफ कंपनी का कुल मुनाफा पिछले साल के मुकाबले 63% तक घट गया, वहीं दूसरी तरफ उसका कामकाज वाला रेवेन्यू 183% से ज्यादा बढ़ गया। इन नतीजों का असर इसके शेयरों पर भी साफ दिखा। नतीजे आने से पहले एटर्नल के शेयर 3.91% उछलकर ₹368.40 के ऊँचे स्तर तक गए थे, लेकिन रिपोर्ट जारी होते ही शेयर नीचे गिर गए और ₹338.25 तक आ पहुँचे। दिन के आखिर तक थोड़ा संभलने के बाद भी यह ₹348.40 पर बंद हुए, जो पिछले दिन के मुकाबले करीब 1.73% की गिरावट थी।

कंपनी का मुनाफा

एटर्नल का कुल मुनाफा सितंबर 2025 में घटकर ₹65 करोड़ रह गया, जो पिछले साल की तुलना में काफी कम है। लेकिन इसी वक्त कंपनी का कारोबार तेज़ी से बढ़कर ₹13,590 करोड़ तक पहुँचा। खर्च भी बढ़े और अब कुल खर्चे ₹13,813 करोड़ के करीब पहुँच गए हैं। जून तिमाही में कंपनी को ₹25 करोड़ का लाभ मिला था, यानी तिमाही के हिसाब से थोड़ा सुधार हुआ है। हालांकि कंपनी का कैश बैलेंस थोड़ा घटकर ₹18,314 करोड़ रह गया है। कंपनी ने एक नई सब्सिडरी शुरू करने का ऐलान भी किया है जिसका नाम एटर्नल फाउंडेशन रखा गया है।

जोमैटो फूड डिलीवरी में बढ़त

एटर्नल की फूड डिलीवरी सर्विस यानी जोमैटो का कारोबार अच्छा रहा। इसका एडजस्टेड रेवेन्यू सितंबर 2025 में बढ़कर ₹2,863 करोड़ हो गया, जबकि जून में यह ₹2,657 करोड़ था। ऑर्डर वैल्यू यानी NOV भी बढ़कर ₹9,423 करोड़ पहुँच गई। इसका मतलब है कि पहले के मुकाबले ज़्यादा लोगों ने ऑनलाइन खाना मँगवाया। जोमैटो के मासिक एक्टिव ग्राहक भी बढ़े हैं, जो जून में 2.29 करोड़ थे और अब सितंबर में 2.41 करोड़ तक पहुँच गए हैं। सालाना तौर पर भी इसमें अच्छी ग्रोथ देखी गई।

आउटिंग बिजनेस का प्रदर्शन

जोमैटो के “गोइंग आउट” यानी बाहर खाने वाले बिजनेस को इस बार थोड़ा झटका लगा है। इसका रेवेन्यू सितंबर तिमाही में 26% नीचे गिरकर ₹189 करोड़ रह गया। जून तिमाही में यह ₹207 करोड़ था। हालांकि, इस बिजनेस का NOV यानी कुल ऑर्डर वैल्यू सालाना आधार पर बढ़ा है और अब यह ₹2,063 करोड़ तक पहुँच गया है। यानी लोग बाहर कम जा रहे हैं, लेकिन जो जाते हैं, वे ज़्यादा खर्च कर रहे हैं।

ब्लिंकिट क्विक डिलीवरी सर्विस का प्रदर्शन

जोमैटो की क्विक डिलीवरी सर्विस ब्लिंकिट को इस बार ऑपरेटिंग स्तर पर ₹156 करोड़ का घाटा हुआ है। पिछले साल यही घाटा सिर्फ ₹8 करोड़ था, यानी नुकसान बढ़ा है। इसका कारण है कंपनी का डार्क स्टोर्स को जल्दी-जल्दी बढ़ाने का तरीका। फिर भी जून तिमाही के मुकाबले यह घाटा कुछ कम है। ब्लिंकिट का कारोबार जबरदस्त बढ़ा है — रेवेन्यू 756% उछलकर ₹9,891 करोड़ पहुँच गया। जून में यह ₹2,400 करोड़ था। इसमें मदद मिली क्योंकि कंपनी ने अब अपने मॉडल को इंवेंटरी ओनरशिप की तरफ मोड़ा है यानी अब सामान खुद रखकर बेच रही है।

ब्लिंकिट के ऑर्डर

ब्लिंकिट के कुल ऑर्डर वैल्यू में भी ज़बरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है। सालाना आधार पर यह 137% बढ़कर ₹11,679 करोड़ हो गया है। औसत ऑर्डर वैल्यू यानी AOV में हल्का बदलाव आया है — जून में यह ₹521 था और अब ₹524 हो गया, जो थोड़ा ऊपर है लेकिन पिछले साल के ₹531 के मुकाबले कम है। सबसे खास बात यह है कि ब्लिंकिट के डार्क स्टोर्स यानी छोटे-छोटे डिलीवरी केंद्रों की संख्या अब 791 से बढ़कर 1,816 हो गई है। मासिक ट्रांजैक्टिंग यूजर्स यानी महीनेभर में खरीददारी करने वाले यूजर भी बढ़कर 89 लाख से 2.08 करोड़ तक पहुँच गए हैं। इससे पता चलता है कि लोग अब ज़्यादा तेजी से रोज़मर्रा की चीज़ें ऑनलाइन मँगवा रहे हैं।

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