Tata Capital IPO में निवेश का आज आखिरी दिन है, लेकिन इस बार यह आईपीओ पूर्ण रूप से सब्सक्राइब नहीं हो पाया है। शुरुआत में जब यह आईपीओ बाजार में आया था, तो निवेशकों में इसे लेकर उत्साह काफी था क्योंकि टाटा ग्रुप का नाम इस पर जुड़ा हुआ है। हालांकि, अब सब्सक्रिप्शन कम होने की वजह से सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या यह आईपीओ निवेशकों की उम्मीदों पर खरा उतर पाएगा।
जीएमपी और प्राइस बैंड
टाटा कैपिटल आईपीओ का ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) पहले के मुकाबले बहुत कम हो गया है। पहले जहां इस आईपीओ का जीएमपी अच्छा था, वहीं आज वह केवल 6 रुपये रह गया है। इसका मतलब है कि निवेशकों को इस आईपीओ पर सिर्फ 1.84 प्रतिशत का लाभ मिलने के चांस हैं। इसके अलावा, प्राइस बैंड में भारी छूट भी दी गई है। ऐसे में निवेशकों को यह आईपीओ कम आकर्षक लग रहा है, जिससे सब्सक्रिप्शन की दर भी कम हो रही है।
क्या है कारण
टाटा कैपिटल आईपीओ की कम सब्सक्रिप्शन का बड़ा कारण टाटा संस के बोर्ड में चल रहे विवाद को भी माना जा रहा है। कंपनी के बोर्ड में दो गुट बन गए हैं। एक गुट नोएल टाटा के साथ है और दूसरा मेहली मिस्त्री के साथ जुड़ा हुआ है। यह विवाद टाटा ग्रुप की पूरी मैनेजमेंट टीम को प्रभावित कर रहा है। इस वजह से निवेशकों के मन में भरोसे की कमी आई है और वे इस आईपीओ में निवेश करने से हिचक रहे हैं।
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निवेशकों के लिए संकेत
निवेशक जब किसी कंपनी में निवेश करते हैं, तो वे कंपनी की स्थिरता और भविष्य की योजनाओं को देखते हैं। टाटा कैपिटल के मामले में, बोर्डरूम विवाद और कम ग्रे मार्केट प्रीमियम ने निवेशकों को असहज कर दिया है। हालांकि, टाटा ब्रांड में गहरा विश्वास होने के कारण कुछ निवेशक अभी भी इस आईपीओ में निवेश करना चाहते हैं। लेकिन कुल मिलाकर, यह स्थिति इस आईपीओ की सफलता के लिए चुनौती बन गई है।
इस प्रकार देखा जाए तो सिर्फ कम जीएमपी के कारण ही आईपीओ कम सब्सक्राइब नहीं हुआ, बल्कि कंपनी के अंदर चल रहे विवादों ने भी निवेशकों को निवेश से रोक रखा है। अगर टाटा ग्रुप अपने बोर्ड विवाद को समाधान करता है, तो भविष्य में निवेशकों का भरोसा वापस लौट सकता है।