HBL Engineering Share : शेयर बाजार में कुछ कंपनियां ऐसी होती हैं जो निवेशकों के लिए किसी खजाने से कम नहीं साबित होतीं। कोरोना काल से लेकर अब तक कई शेयरों ने छोटी से छोटी रकम को भी बड़ा बना दिया है। इन्हीं में से एक नाम है एचबीएल इंजीनियरिंग लिमिटेड, जिसने बीते पांच सालों में निवेशकों को हैरान कर देने वाला फायदा दिया है।
पांच साल का प्रदर्शन
अगर हम 2020 से 2025 तक का समय देखें, तो एचबीएल के शेयर ने कमाल कर दिखाया। 2 अक्टूबर 2020 को जहां इसका भाव सिर्फ 16 रुपये था, वहीं 2 अक्टूबर 2025 तक यह बढ़कर 830 रुपये तक चला गया। यानी करीब 5,000% का रिटर्न। इतनी तेजी ने न केवल छोटे निवेशकों का विश्वास बढ़ाया बल्कि कंपनी से जुड़े प्रमोटरों को भी मालामाल कर दिया।
तिमाही नतीजे और शेयर प्रदर्शन
वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही कंपनी के लिए किसी बोनस से कम नहीं रही। जून 2025 में कंपनी का नेट प्रॉफिट 143 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा, जबकि पिछले साल इसी समय यह 80 करोड़ रुपये था। ऑपरेशंस से रेवेन्यू 15% से ज्यादा बढ़कर 602 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। खर्चों में भी कमी आई, जो निवेशकों के लिए एक और अच्छी खबर थी। इसी दमदार प्रदर्शन का असर शेयर पर भी दिखा। बीएसई में गुरूवार को एचबीएल का शेयर चढ़कर 834.30 रुपये के आसपास बंद हुआ। खास बात ये है कि यह अपने 52 हफ्तों के न्यूनतम स्तर 404 रुपये से लगभग दोगुना ऊपर खड़ा है।
कंपनी का नया नाम
13 नवंबर 2024 को कंपनी ने अपना नाम बदलकर एचबीएल पावर सिस्टम्स लिमिटेड से “एचबीएल इंजीनियरिंग लिमिटेड” रखा। इसका कारोबार सिर्फ बैटरियां बनाने तक सीमित नहीं है। यह लीड-एसिड, नाइ-कैड, सिल्वर-जिंक और लिथियम बैटरियों की सप्लाई करने के साथ रेलवे और डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स से जुड़ी सर्विस भी देती है। इसके ग्राहक दुनिया भर में फैले हुए हैं, जिनमें रेलवे, एयरलाइन और डिफेंस सेक्टर जैसी अहम इंडस्ट्रीज शामिल हैं।
इन्हें हुआ बड़ा फायदा
इस जबरदस्त उछाल का सबसे बड़ा फायदा मिला जगदीश प्रसाद अलुरु और उनके परिवार को। हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2025 के मुताबिक उनकी संपत्ति पिछले पांच सालों में 1,374% उछलकर लगभग 14,740 करोड़ रुपये हो गई।
जगदीश प्रसाद अलुरु के नाम पर 26.9 लाख शेयर हैं।
उमा देवी अलुरु के पास करीब 9.5 लाख शेयर हैं।
कविता प्रसाद अलुरु के पास लगभग 98 लाख शेयर मौजूद हैं।
शेयर बाज़ार की भाषा में कहें तो यह परिवार अब “बिग लीग” का हिस्सा बन चुका है।